और भी अर्थ

ebook और भी दूरी

By टी सिंह

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कसक
बाँझ
अकेलापन
भारी पदोन्नति
बातचीत
अच्छा दिन बुरी शाम
उसके बाद
सब बिखर गया
डायरी

टी. सिंह में किसी भी सामान्य घटना या ज़रा सी बात को एक लम्बी कहानी या उपन्यास में बदल देने की अद्भुत क्षमता है। उनकी ज्यादातर कहानियाँ और उपन्यास अपनी ही तरह की होती हैं जिनमें बिलकुल 'साधारण' सा सबकुछ होते हुए भी वो 'असाधारण' सबसे अधिक होता है जो लेखक की कला को प्रदर्शित करता है और पाठक पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ जाता है!

"और भी अर्थ: और भी दूरी" उपन्यास में उन्होंने अपनी लेखन कला का लोहा मनवा लिया है और एक बहुत ही सामान्य सी बात को एक सुन्दर कहानी का रूप दे दिया है। बात तो बहुत छोटी सी है: एक शादीशुदा औरत माँ नहीं बन सकती है; लेकिन पति बहुत प्रेम करता है, पर अचानक ही सबकुछ ऐसे घटित हो जाता है के उनकी दुनिया ही ऊपर नीचे हो जाती है और पाठक की आँखों मे आंसू आ जाते हैं...

तो आइये दोस्तों, इस सुन्दर कहानी का आनंद लीजिये और राहुल और माया की प्रेम की दुनिया में खो जाइये!

और भी अर्थ