ओपन वॉर

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By प्रकाश भारती

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एंबेसेडर कार में चार पुलिस वालों के अलावा पांचवा था राकेश मोहन - पिछली सीट पर दो पुलिस अफसरों के बीच फंसा बैठा। उसे पुलिस हैडक्वार्टर्स ले जाया जा रहा था - इंटेरोगेशन के लिए। उसकी दोहरे फर्श वाली बेंटले कार से नेपाल से लायी सौ करोड़ की हेरोइन बरामद हुई थी...।

पुलिस कार का पीछा कर रही मर्सीडीज कुछेक सैकेंड एंबेसेडर की साइड में रही और डिग्गी पर अजीब सी चीज फेंककर तेजी से आगे दौड़ गई...।

इससे पहले कि पुलिस वाले कुछ समझ पाते...।

भयंकर विस्फोट! आग और धुएं का विशाल गोला आसमान की ओर लपका...। पुलिस कार के पिछले हिस्से के परखच्चे उड़ गए।

पिछली सीट पर मौजूद राकेशमोहन की सिर्फ टांगे ही बची... उसके शरीर का ऊपरी भाग खून से सने मांस के लोथड़े में बदल गया। दोनों पुलिस अफसरों के जिस्म दो हिस्सों में बंट गए...।

आग की लपटों में घिरा कार का अगला भाग शेष कार से अलग होकर राकेट की तरह पेड़ से जा टकराया था...।

दिन दहाड़े खुले आम पांच आदमियों को बम विस्फोट में उड़ा दिया गया...।

पुलिस विभाग में हड़कंप!

शहर में दहशत और सनसनी!

सबकी जुबान पर दो ही सवाल थे- किसने किया? क्यों किया?

यह शुरुआत थी स्थानीय अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह दो शैतान भाइयों और एक विदेशी डॉन के बीच छिड़ी खूनी जंग की... जिसका मुंहतोड़ जवाब दिया क्राइम ब्रांच के अफसरों की स्पेशल टीम ने!!

(संगठित अपराध जगत की रक्त रंजित गाथा)

ओपन वॉर